जब तक है जान
इतनी लंबी है क देखते देखते जान निकल गई
'प्यार में मिलना, मिलकर बिछड़ना और एक बार फिर मिलना' यही है फिल्म 'जब तक है जान' की कहानी. कहानी के मध्य में हैं शाहरुख़ खान, उनके इर्द-गिर्द हैं कटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा.
कहानी लंदन से लद्दाख, लद्दाख से
कश्मीर घाटी होती हुई फिर लंदन पहुंचती है और एक चौराहे पर खड़ी हो जाती है.
कहानी का अंत लंदन की गलियों में होता है या फिर कश्मीर की वादियों में इस
राज़ पर से मैं पर्दा नहीं हटाना चाहता.
लेकिन अंत के अलावा और कई बातें मैं आपको बता सकता
हूं. जैसे मैं आपसे ये कह सकता हूं कि फिल्म के हर दृश्य में आपको यश
चोपड़ा के 'रोमांस' की छाप मिलेगी.
वैसे ये फिल्म हर फिल्म की तरह एक आम सी फिल्म है इस मे ना तो कोई ख़ास रोमॅन्स देखने को मिला नही पठकता मे कसाओ होने का एहसास होआ. वैसे तो यश जी की ये आखरी फिल्म है पर ना जाने क्यो फिल्म मे कोई ख़ास खिंचाओ नही है.
खेर जिन लोगो को सिनेमा हॉल मे समय बिताना पसंद हो उन क लिए ये फिल्म बिल्कुल ठीक है बाकी गंभीर और रचनात्मक फिल्म प्रेमियो के लिए ये फिल्म डब्बा गोल है.
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