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Sunday 16 December 2012

लाइफ़ ऑफ पाई


एक बढ़िया फिल्म के लिए उसकी शुरुआत,मध्य और अन्त का अच्छा होना ही ज़रुरी नहीं है, साथ ही महत्वपूर्ण है निर्देशक किस तरह अपनी कल्पना को पर्दे पर प्रत्यक्ष रुप से उतार पाता है, खासतौर पर ऐसी फिल्म जिसमें प्रकृति का अहम रोल हो.

लाइफ ऑफ पाई एक ऐसी अनोखी दास्तान है जो आपको एक अलग दुनिया में ले जाती है. ये फिल्म प्रकृति के प्रति हमारी निष्ठा पर एक गहरा सवाल उठाती है. कल्पना और यथार्थ के बीच झूलती ये कहानी वैसे तो सिर्फ एक घटना दिखाती है पर साथ ही एक गहरा आध्यात्मिक असर भी डालती है.


यैन मार्टल के इसी नाम के उपन्यास पर आधारित इस फिल्म के निर्देशक हैं आंग ली जिन्होंने क्राउचिंग टाइगर हिडन ड्रेगन और ब्रॉकबैक मांउंटेन जैसी ऑस्कर विजयी फिल्में दी हैं. लाइफ ऑफ पाई में आंग ली ने बेहद ही लुभावने और प्राकृतिक दृश्य फिल्माए हैं.


निर्देशक ली ने मनुष्य और पशु में जीने की लालसा को दिखाया है तो दूसरी तरफ दोनों के बीच का समन्वय भी बखूबी दर्शाया है.
फिल्म के कुछ दृश्य, ख़ासतौर पर लाइफ बॉट पर पाई और शेर के बीच फिल्माए दर्शाए दृश्य काफी प्रभावशाली बन पड़े हैं. 

पर आजकल हम सबको मालूम है कि ये सब कम्प्यूटर ग्राफिक के सहारे कितना आसान हो गया है इसलिए सब कुछ अच्छा लगते हुए भी मन को बहुत भाता नहीं है.
पाई का रोल निभाने वाले सुरज शर्मा का अभिनय बेहद सहज और स्वाभाविक है. व्यस्क पाई के छोटे से रोल में भी इरफान ने छाप छोड़ी है.
पर इन सबके बीच आप शायद रिचर्ड पार्कर के रुप में बंगाल टाइगर को भी चाहने लगेंगे.


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